दीपक जलाने की विधि और इसके धार्मिक महत्व: संपूर्ण मार्गदर्शन


दीपक जलाने की विधि

भारतीय संस्कृति में दीपक का विशेष स्थान है। दीपक न केवल प्रकाश का प्रतीक है, बल्कि यह ज्ञान, आशा और शुद्धता का भी प्रतीक है। घर के मंदिर में दीपक जलाने की परंपरा अत्यंत प्राचीन है और इसे शुभ माना जाता है। इस लेख में हम दीपक जलाने की विधि, इसके प्रकार और धार्मिक महत्व के बारे में विस्तार से जानेंगे।

दीपक जलाने की विधि:

दीपक जलाने की विधि में अनेक नियम और शुभ मान्यताएं शामिल हैं। घर के मंदिर में दीपक जलाने से पहले, यह सुनिश्चित करें कि दीपक स्वच्छ हो और इसे भगवान की मूर्ति के सामने सही दिशा में रखा जाए। शास्त्रों के अनुसार, भगवान के दाहिने हाथ की तरफ घी का दीपक और बाएं हाथ की तरफ तेल का दीपक जलाना चाहिए। दीपक जलाते समय इसका मुख घर के मंदिर में भगवान की ओर, पितृ पक्ष में दक्षिण दिशा की ओर और शाम के समय मुख्य द्वार की दाहिनी ओर होना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार, भगवान के दाहिने हाथ की ओर घी का और बाएं हाथ की ओर तेल का दीपक जलाना चाहिए, मनोकामनाओं के लिए तेल का दीपक, शुभता के लिए लौंग और कपूर का दीपक, और नजर दोष से बचने के लिए दीपक के नीचे उड़द दाल रखना चाहिए।

घी का दीपक:

गाय के घी से बना दीपक जलाना अत्यंत शुभ माना जाता है। इसे जलाने से नकारात्मकता और वास्तु दोष दूर होते हैं। यह सुख, शांति और समृद्धि लाने में भी सहायक है।

तेल का दीपक:

सरसों के तेल से बना दीपक जलाने से सकारात्मकता आती है। विशेष रूप से शनि दोष से पीड़ित व्यक्तियों को शाम के समय पीपल के पेड़ के नीचे इसे जलाना चाहिए।

दीपक के प्रकार और उनका महत्व:

दीपक कई प्रकार के होते हैं और प्रत्येक का अपना विशेष महत्व है।

मिट्टी का दीपक: यह सबसे पारंपरिक प्रकार का दीपक है और इसे शनि और मंगल की शांति के लिए जलाया जाता है।

आटे का दीपक: सिद्धियों की प्राप्ति के लिए आटे से बने दीपक का प्रयोग किया जाता है।

सोने का दीपक: सूर्य और गुरु ग्रह की कृपा के लिए सोने के दीपक का प्रयोग किया जाता है।

दीपक के नीचे चावल का रखने के पीछे की मान्यता :

चावल की शुद्धता: चावल को शुद्धता का प्रतीक माना जाता है, और इसे दीपक के नीचे रखने से अनुष्ठान की पवित्रता बढ़ती है।

दीपक का देवत्व: हिन्दू धर्म में दीपक को देवता का प्रतिनिधित्व करने वाला माना जाता है, और इसे जलाने का कार्य एक पवित्र क्रिया है।

धन-दौलत की वृद्धि: शास्त्रों के अनुसार, दीपक के नीचे चावल रखने से धन-दौलत में वृद्धि होती है।

धन-धान्य की वृद्धि: दीपक के नीचे गेहूं रखने से धन और अन्न की वृद्धि मानी जाती है।

सुरक्षा का विचार: काले तिल या उड़द दाल रखने से यह माना जाता है कि देवी मां काली, भैरव, शनि देव और दस दिक्पाल जैसे देवी-देवता और ग्रह व्यक्ति की रक्षा करते हैं।

अन्य अनाजों का उपयोग: चावल के अलावा, अन्य अनाज जैसे कि जौ, तिल, गेहूं आदि भी शुभ कार्यों में और दीपक के नीचे रखे जा सकते हैं।

दीपक जलाने के अन्य नियम:

गोल बाती का दीपक: यह ब्रह्मा जी, इंद्रदेव, शिव जी, विष्णु जी और अन्य देवताओं के मंदिर में जलाने के लिए उपयुक्त है। तुलसी के पौधे के सामने भी गोल बाती वाला दीपक जलाना चाहिए।

जब आप भगवान की पूजा करते हैं, तो दीपक को उनके सामने अवश्य रखें। घी के दीपक में सफेद रुई की बत्ती का उपयोग करना शुभ होता है, जबकि तेल के दीपक के लिए लाल धागे से बनी बत्ती को उत्तम माना गया है। यह सुनिश्चित करें कि जलाने के लिए चुना गया दीपक किसी भी प्रकार से खंडित न हो; एक पूर्ण और अखंड दीपक ही आपकी पूजा के लिए उपयुक्त है। पूजा के दौरान हमेशा एक साफ दीपक का ही प्रयोग करना चाहिए। अंत में, तेल का दीपक जलाते समय इसे अपने दाहिनी ओर रखना चाहिए, जो कि परंपरा के अनुसर शुभ माना जाता है।

पूजा के दौरान यह विशेष रूप से शुभ माना जाता है कि जब आप घी का दीपक जलाएं, तो उसे भगवान के दाहिने हाथ की ओर रखें। वहीं, तेल का दीपक भगवान के बाएं हाथ की ओर रखने से शुभता आती है। घी के दीपक में प्रयोग की जाने वाली बत्ती को सफेद रुई से बनाना चाहिए, जबकि तेल के दीपक के लिए लाल मौली का उपयोग उत्तम होता है। दीपक को हमेशा भगवान के सीध में, उनके सामने ही रखना चाहिए। पूजा में इस्तेमाल होने वाला दीपक सदैव साफ होना चाहिए और खंडित दीपक का प्रयोग करने से बचना चाहिए।

दीपक की लौ: दीपक की लौ की दिशा उत्तर या पूर्व की ओर होनी चाहिए। यह वास्तु शास्त्र के अनुसार शुभ माना जाता है।

दीपक जलाने के समय  किये जाने वाले मंत्र उच्चारण :

"दीप ज्योति परंब्रह्म दीप ज्योतिर्जनार्दनः" 

यह ज्योति परम ब्रह्म है, यह ज्योति जनार्दन अर्थात भगवान विष्णु है।

"दीप हरतु मे पापं संध्यादीप नमोस्तुते" 

यह दीपक मेरे पापों को हर ले, संध्या के समय जलाए गए दीपक को मेरा नमस्कार है।

"शुभं करोति कल्याणम् आरोग्यम् धनसंपदा"  

यह शुभ करता है, कल्याण करता है, आरोग्य और धन-संपदा प्रदान करता है।

"शत्रुबुद्धिविनाशाय दीपकाय नमोस्तुते" 

शत्रु की बुद्धि का विनाश करने वाले दीपक को मेरा नमस्कार है।

दीपक जलाने के शुभ मुहूर्त:

वास्तु शास्त्र के अनुसार, शाम के समय 5:00 बजे से 7:00 बजे के बीच दीपक जलाना शुभ होता है। इस समय दीपक जलाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

दीपक जलाने के लाभ:

दीपक जलाने से अनेक लाभ होते हैं। यह घर में सकारात्मकता लाता है, वातावरण को शुद्ध करता है, और धार्मिक अनुष्ठानों में देवताओं की कृपा प्राप्त करने में सहायक होता है। दीपक के नीचे चावल, गेहूं, उड़द या काले तिल रखने से धन-धान्य की वृद्धि होती है और यह विभिन्न देवताओं की कृपा का संकेत भी माना जाता है।

दीपक जलाना केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह हमारी संस्कृति का एक अभिन्न अंग है। यह हमें ज्ञान की ओर ले जाने वाला प्रकाश है जो अंधकार को दूर करता है। इसलिए, दीपक जलाने की इस पवित्र परंपरा का पालन करते हुए हमें इसके महत्व को समझना चाहिए और इसे श्रद्धा और विश्वास के साथ अपनाना चाहिए।


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