प्यारे दोस्तों , आज मैं आपको भगवान गणेश की एक रोचक कहानी सुनाने जा रही हूँ ।
एक बार एक नगर में एक मालिन रहती थी ।उसके पति चल बसे थे । उसका एक चार साल का पुत्र था । उसकी सास कठोर हृदय की स्त्री थी ।वह बहू को बहुत तकलीफ़ देती थी ।एक दिन सास ने बहू और पोते को घर से निकाल दिया । वे दोनों रोते हुए चलते- चलते एक जंगल में जा पहुँचे । वहाँ एक बड़े पेड़ के नीचे बैठ गए । वहाँ से थोड़ी दूर पर एक गणेश जी का मंदिर था ।वहाँ बहुत लोग गणेश जी के दर्शन करने आते थे । दर्शन करके गणेश जी को प्रसाद चढ़ाते थे । फिर वह प्रसाद सबको बाँट देते थे । इस प्रसाद से माँ - बेटे का गुज़ारा होने लगा । दोनों गणेश जी की पूजा -पाठ में लग गए ।
एक दिन उन्होंने सोचा क्यों न हम भी जंगल से फूल लाकर बेंचे। वे रोज जंगल से फूल लाकर उसकी माला बनाकर बेचने लगे । साथ में पूजा की सामग्री और प्रसाद भी बेचने लगे । इससे उनको आमदनी होने लगी । गणेश जी की कृपा से आमदनी बढ़ने लगी । जल्दी ही उन्होंने एक मकान और एक दुकान बना लिया । एक राजा की लड़की मंदिर में रोज पूजा करने आती थी। मालिन के बेटे को देखकर राजकुमारी उस पर मोहित हो गई और उससे विवाह करने की सोचने लगी । उसने अपनी भाभी से अपने मन की बात कही । भाभी अनुभवी थीं ।
उसने कहा- यह तो मालिन का बेटा है और तुम एक राजा की बेटी हो। यदि तुमने उससे विवाह किया तो तुम्हारी बहुत बेइज़्ज़ती होगी । पर राजकुमारी अपनी बात पर अड़ी रही ।
उसने कहा-- मैंने तो प्रतिज्ञा कर ली है कि उसी से विवाह करूँगी । भाभी ने घर जाकर सारी बात राजा को बता दी । राजा ने मना नहीं किया और विवाह के लिए तैयार हो गए ।उन्होंने बड़े धूमधाम से बेटी का विवाह मालिन के बेटे के साथ कर दिया । मालिन ने सबसे पहले बेटे-बहू को गणेश जी के मंदिर में ले जाकर पूजा-पाठ करवाया और गणेश जी का आशीर्वाद दिलवाया।
इसके बाद पूरे नगर में यह बात फैल गई कि गणेश जी की पूजा करने से सब दुख - कष्ट दूर हो जाते हैं । यह बात सुनते ही नगर के सभी लोग मंदिर आने लगे । मालिन और उसके बेटे की बिक्री और बढ़ गई । उधर उसकी सास के बुरे दिन आ गए । अन्नदाता उससे रूठ गए और वह भूखों मरने लगी ।एक दिन वह रोती-धोती उसी गणेश जी के मंदिर में आ पहुँची ।
वहाँ वह मालिन के बेटे से बोली- मैं भूखी हूँ । मुझे रोटी-कपड़ा दे देना । इसके बदले मैं तुम्हारा सारा काम कर दूँगी ।लड़के को दया आ गई और उसे काम पर रख लिया।उसने अपनी दादी को नहीं पहचाना। जब मालिन घर आई तो उसने सास को पहचान लिया ।
वह सास से बोली -- सासूजी आप यहाँ कैसे ?
सास ने पोते की तरफ़ इशारा करके कहा- मेरी इस सेठ के यहाँ नौकरी लग गई है ।
बहू बोली-- यह आपका पोता है और यह घर भी आपका ही है । यह दुकान भी आपकी ही है । जब आपने हमें घर से निकाला तब गणेश जी ने हमारी रक्षा की ।
बहू की बात सुनकर सास बोली -- मेरी करनी मैंने भोगली ।
बहू बोली -सासु जी अब आप हमारे यहाँ रहो और पोते का सुख देखो।
हे गणेश जी महाराज जैसा सुख आपने मालिन को दिया वैसा ही सुख सबको देना।
मित्रो आपको ये कहानी कैसे लगी ,कमेंट करके जरूर बताये।
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